हाथरस- हरियाली तीज महोत्सव मनाया, आधुनिकता के दौर में हरियाली तीज के त्योहार के मायने बदले, तीज के त्योहार पर लोकगीत व मल्हारों अब नही सुनने को मिलती

हाथरस। आधुनिकता के इस दौर में हरियाली तीज के मायने ही बदल गए है। कभी लोकगीत सराबोर रहने वाले त्योहार की चमक अब फीकी है। भागदौड़ भरी जदंगी में महिलाओं ने इसके रंग और रूप को भी बदल दिया है। अब तीज त्योहार खुले बागों में पेड़ों की डाल पर झूले डालकर नही, बल्कि क्लब और बैंक्वेट हाॅल में डीजे की धुन पर डांस तक सिमटकर रह गया है।
सावन माह के शुल्क पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज होती है। तीज पर शादी के बाद नवविवाहिता को अपने सधारे का इंतजार रहता है। इस सधारे में श्रृंगार के सामान के साथ ही झूला पटरी, घेवर, साड़ी, चूड़ियां, व अन्य सामान होता है। नवविवाहिता पहले बागों में खुले स्थान पर झूला डालकर झूलती थी और समूह में नाचते हुए एक दूसरे को झुलाती थी, कई महिलायें ढोलक और अन्य वादय यंत्रो से गीत-संगीत का जलवा बिखेरती थी। जिस युवती का विवाह तय हो गया होता, उसे उसके ससुराल से ये सधारा भेजा जाता है। पूजन के बाद महिलायें मिलकर शिव गौरी के सुखद वैवाहिक जीवन से जुड़े लोकगीत गाती थी।
बदलते दौर में इन त्योहारों पर भी पश्चिमी संस्कृति हावी हो रही है। अब तो महिलाओं द्वबारा गाया जाने वाला गीत पर मल्हार का स्वरूप भी बदल चुका है। ढोलक की थाप और लोकप्रिय कच्चे गीत की निबोरी सावन जल्दी अईयो रे की गंूज भी सुनाई नही देती थी। महिलायें हरियाली तीज के लोकगीत इन्द्र राजा झूम आए बाग में जी... अरी बहना सातों सहेली मिल संग झुलें चलके झूला, अरे बीबी मन में तो भरियों उमंग झूले पर चलके, झूला पड़ा सखी आया रे सावन का महीना, गाकर खुश होती थी। अब यह त्योहार बदल गया है। वही हरियाली तीज के त्योहार को महिला बड़ी हर्ष उल्लास के साथ मनाती है। जहां सुबह से ही घरों की साफ-सफाई के बाद घरों में पकवान आदि समान बनकर हरियाली तीज का त्योहार बनाया जाता है।


 दुर्गा वाहिनी के तत्वावधान में हरियाली तीज महोत्सव सेकसरिया उद्यान स्थित तुलसीदेवी स्मृति भवन में  श्रीमती बीना आर्या की अध्यक्षता में मनाया गया। मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष श्रीमती डौली माहौर, दुर्गा वाहिनी की प्रांत संयोजिका श्रीमती शशि वाला, विहिप विभाग अध्यक्ष श्रीमती रूपेश, सेवा भारती जिला संयोजिका अनु विमल व स्वागताध्यक्ष श्रीमती वीणा अग्रवाल थीं।
महोत्सव का शुभारंभ कु. दीप्ती चैधरी के मंगलाचरण व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। सभी ने वटवृक्ष का पूजन किया। कु. आकांक्षा चतुर्वेदी ने हरियाली तीज के महत्व पर प्रकाश डाला। विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा हरियाली तीज महोत्सव का आनन्द लेते हुये वृक्षों की सुरम्य छाओं के बीच सावन के झूले व मल्हारों का गायन किया गया।
समारोह की सफलता में ललिता, सोनिया, दीप्ती, खुशबू, कविता, त्रिशा, शोभा, अदिता, पूनम द्विवेदी, राधिका आदि का सराहनीय सहयोग रहा।

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