हाथरस- जिले की तीनों विधानसभाओं पर बसपा आगे, सपा हाफ, भाजपा साफ

हाथरस। आजकल चारों ओर चुनावी हलचलें पूरे शबाब पर हैं। जिले की तीनों विधानसभाओं पर राजनीति के खिलाड़ी जोर आजमा रहे हैं। सबके अपनी-अपनी जीत के दावे हैं, लेकिन जनता क्या कहती है यह महत्वपूर्ण है और आने वाले समय में इसका पता सभी को चल जायेगा। फिलहाल हम जिले की तीनों विधानसभाओं में जनता का क्या रुख है, यह जानने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले बात हाथरस विधानसभा से शुरू करते हैं। जनता की मानें तो यहां मुकाबला बसपा के ब्रजमोहन राही और भाजपा के हरीशंकर माहौर के बीच है। यों तो कांग्रेस के राजेशराज जीवन और रालोद के गेंदालाल भी अपने आंकड़े गिनाकर अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। यहां जाटव मतदाता 85 हजार हैं और 65 से 70 हजार तक वे मतदान करते हैं, ऐसे में बसपा प्रत्याशी की गिनती 65 हजार से शुरू होगी। इस आंकड़े को छूने के लिए अन्य दलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसके अलावा अन्य जातियां एवं मुस्लिम मतदाताओं का रुख जीत की मंजिल तय करेगा। सोशल मीडिया पर आ रही ख़बरों के हवाले से कहें तो भाजपा प्रत्याशी को ब्राह्मण वोट नहीं चाहिये। शायद इसी योजना के तहत उन्होंने जिलाध्यक्ष से कहकर भाजपा के ब्राह्मण नेता कलराज मिश्रा की सासनी प्रस्तावित जनसभा को रद्द करा दिया। इसके अतिरिक्त जिलाध्यक्ष और भाजपा प्रत्याशी की उपेक्षा का शिकार जिला महामंत्री डा. चन्द्रशेखर रावल का जिला महामंत्री पद से त्यागपत्र श्री माहौर को बहुत भारी पड़ सकता है। विधानसभा सादाबाद पर भी लड़ाई बसपा के पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय और रालोद के डा. अनिल चैधरी के बीच बताई जा रही है। भाजपा की प्रीति चैधरी और सपा-कांग्रेस गठबंधन के देवेन्द्र अग्रवाल यहां तीसरे और चैथे नम्बर के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यहां ब्राह्मण, जाटव, बघेल एवं मुस्लिम वोट बसपा को जा रहा है और जाटों का वोट रालोद को। अन्य जातियों का रुझान भी जीतने वाले प्रत्याशी को देखकर तय होने की संभावना है। फिलहाल यहां बसपा का पलड़ा बहुत भारी नज़र आ रहा है जो विरोधी दलों के लिए बेहद चिन्ता का विषय बना हुआ है। इतिहास गवाह है कि बसपा प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय के चुनावी गणित को विरोधी दल के नेता छू भी नहीं सके हैं, ऐसे में जनता यहां से रामवीर उपाध्याय की जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है। सिकन्दराराव विधानसभा का चुनावी परिदृश्य यह है कि यहां त्रिकोणीय मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन के यशपाल चैहान, बसपा के बनीसिंह बघेल एवं भाजपा के वीरेन्द्र सिंह राणा के बीच चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि क्षत्रिय समाज के दो एवं यादव समाज के एक कद्दावर नेताओं के निर्दलीय चुनाव में उतरने से सारे समीकरण गड़बड़ाने लगे हैं। ऐसे में क्षत्रियों एवं यादवों की लड़ाई में बसपा के बनीसिंह बघेल बाजी मार ले जाये ंतो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।इसके अलावा जिले की तीनों सीटों पर भाजपा और सपा को भितरघातियों से भी नुकसान होने की पूरी संभावना बतायी जा रही है। परिस्थितियों का मूल्यांकन करें तो उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का सपना देख रही भाजपा का तो जिले में खाता भी खुलता नज़र नहीं आ रहा है। बहरहाल, यह चुनावी माहौल है और इसमें शह और मात का खेल अन्त तक चलता रहता है। अन्तिम फैसला तो जनता तय करेगी कि जिले की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा!

Post a Comment

जयहिंद मीडिया नेटवर्क में अपनी बात रखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

और नया पुराने