हाथरस/सिकन्दराराव (संदीप पुण्ढीर की रिपोर्ट)। जनपद में यूपी बोर्ड परीक्षा केन्द्रों पर बेखौफ होकर नकल माफिया प्रशासन की सारी तैयारियों को दरकिनार करके हावी होरहे हैं। परीक्षा केन्द्रों पर चल रही खुलेआम नकल के दौरान परीक्षार्थियों से पांच से दस हजार रूपये तक बसूले जा रहे हैं। इतना ही नहीं रूपये न देने वाले परीक्षार्थियों के साथ मारपीट की जाती है तथा उन्हें भयभीत करनेके लिए परीक्षा केन्द्रों पर असलाहों से लैस दबंग एवं आपराधिक प्रवृति के लोगों का जमाववाडा रहता है जो छात्रों एवं अभिभावकों को धमकाने का काम करते हैं। यदि बात करें सिकन्दराराव तहसील क्षेत्र के गांव डण्डेसरी स्थित केएमबी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की तो वहां परीक्षार्थियों से डण्डे एवं असलाहों के बल पर खुलेआम बसूली की जा रही है। रूपये न देने वाले परीक्षार्थियों को अलग कमरे में बैठाया जाता है जब कि रूपये देने वाले परीक्षार्थियों के लिए अलग व्यवस्था की जाती है। इस परीक्षा केन्द्र पर माफिया इतनी बुरी तरह हावी हैं कि यूपी बोर्ड द्वारा जारी मानकों की भी अनदेखी की जाती है। बिना आईकार्ड वालेबाहरी लोगों की भी परीक्षा के दौरान केन्द्र में बैखौफ आवाजाही बनी रहती है। भयभीत दर्जनों परीक्षार्थियों ने परीक्षा भी छोड दी है।
भले ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गयी हो लेकिन इस बार नकल माफियाओं पर सत्ता बदलने का कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। उनके हौसले पहले से भी ज्यादा बुलन्द हैं। इसकी वजह यह भी है कि जब तक सरकार बनी उससे पहले ही यूपी बोर्ड की परीक्षाऐं प्रारम्भ हो चुकी थी। अधिकाशं परीक्षा केन्द्रों पर अधिकारियों का कोई खौफ नजर नहीं आ रहा है। उडनदस्तों की छापेमारी महज औपचारिकता बन कर रह गयी है। नकल माफिया अवैध बसूली का विरोध करने पर अभिभावकों एवं छात्रों को धमकी देते हैं कि चाहे जिस अधिकारी से शिकायत कर दो कोई कार्यवाही नहीं हो सकती क्यों कि सेंटर बनवाने के तीन से साढे तीन लाख रूपये दिये हैं तब जा कर सैंटर बना हैऔर उसके बाद भी जो भी अधिकारी परीक्षा के दौरान आता है उसे चांदी का जूता मार कर शांत कर दिया जाता है। इस खर्चे की भरपाई के लिए परीक्षार्थियों से रूपये लिये जायेंगे।
हालां कि परीक्षा प्रारम्भ शुरू होने से पहले प्रशासन ने नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए व्यापक तैयारियांकी थीं परन्तुनकल माफियाओंने भी हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन के प्रयासों पर पानी फेरने के लिए पूरी योजना बना ली थी।
उल्लेखनीय है कि जनपद मेंकई परीक्षा केन्द्र नकल के लिए कुख्यात रहे हैं। जिसकी वजह से जिन्हें काली सूची में भी पूर्व में डाला जा चुका है। लेकिन नकल माफिया ऐसे ब्लैक लिस्टेड विद्यालयों को भी रूपयों के बल पर केन्द्र बनवाने में सफल रहे हैं। नकल के लिए कुख्यात केन्द्रों पर परीक्षार्थियोंसे अवैध बसूली की जाती रही है। पांच से लेकर दस हजार रूपये तक बसूले जा रहे हैं। नकल माफियाओंका नेटवर्क काफी मजबूत है जोबोर्ड परीक्षा फार्म भरवाने तथा परीक्षा केन्द्र बनवाने तथा केन्द्रों पर नकल करानेतक की व्यवस्थाऐंजुटाने में सक्रिय रहता है। हर वर्ष माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं प्रशासन द्वारा नकल को रोकने के लिए बडे-बडे दावे किये जाते हैं लेकिन अंततः वे सभी दावे खोखले साबित होते हैं। परीक्षा केन्द्रों पर नकल माफियाओं का दबदबा दिखाई देता है। इस बार भी हालात बद से बदतर होते नजर आ रहे हैं। नकल रोकने के लिए अधिकारियों एवं विभागीय लोगोंको अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गयी थीं। लेकिन नकल माफियाओं के आगे सब धरी की धरी रह गयी हैं।
भले ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गयी हो लेकिन इस बार नकल माफियाओं पर सत्ता बदलने का कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। उनके हौसले पहले से भी ज्यादा बुलन्द हैं। इसकी वजह यह भी है कि जब तक सरकार बनी उससे पहले ही यूपी बोर्ड की परीक्षाऐं प्रारम्भ हो चुकी थी। अधिकाशं परीक्षा केन्द्रों पर अधिकारियों का कोई खौफ नजर नहीं आ रहा है। उडनदस्तों की छापेमारी महज औपचारिकता बन कर रह गयी है। नकल माफिया अवैध बसूली का विरोध करने पर अभिभावकों एवं छात्रों को धमकी देते हैं कि चाहे जिस अधिकारी से शिकायत कर दो कोई कार्यवाही नहीं हो सकती क्यों कि सेंटर बनवाने के तीन से साढे तीन लाख रूपये दिये हैं तब जा कर सैंटर बना हैऔर उसके बाद भी जो भी अधिकारी परीक्षा के दौरान आता है उसे चांदी का जूता मार कर शांत कर दिया जाता है। इस खर्चे की भरपाई के लिए परीक्षार्थियों से रूपये लिये जायेंगे।
हालां कि परीक्षा प्रारम्भ शुरू होने से पहले प्रशासन ने नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए व्यापक तैयारियांकी थीं परन्तुनकल माफियाओंने भी हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन के प्रयासों पर पानी फेरने के लिए पूरी योजना बना ली थी।
उल्लेखनीय है कि जनपद मेंकई परीक्षा केन्द्र नकल के लिए कुख्यात रहे हैं। जिसकी वजह से जिन्हें काली सूची में भी पूर्व में डाला जा चुका है। लेकिन नकल माफिया ऐसे ब्लैक लिस्टेड विद्यालयों को भी रूपयों के बल पर केन्द्र बनवाने में सफल रहे हैं। नकल के लिए कुख्यात केन्द्रों पर परीक्षार्थियोंसे अवैध बसूली की जाती रही है। पांच से लेकर दस हजार रूपये तक बसूले जा रहे हैं। नकल माफियाओंका नेटवर्क काफी मजबूत है जोबोर्ड परीक्षा फार्म भरवाने तथा परीक्षा केन्द्र बनवाने तथा केन्द्रों पर नकल करानेतक की व्यवस्थाऐंजुटाने में सक्रिय रहता है। हर वर्ष माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं प्रशासन द्वारा नकल को रोकने के लिए बडे-बडे दावे किये जाते हैं लेकिन अंततः वे सभी दावे खोखले साबित होते हैं। परीक्षा केन्द्रों पर नकल माफियाओं का दबदबा दिखाई देता है। इस बार भी हालात बद से बदतर होते नजर आ रहे हैं। नकल रोकने के लिए अधिकारियों एवं विभागीय लोगोंको अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गयी थीं। लेकिन नकल माफियाओं के आगे सब धरी की धरी रह गयी हैं।
एक टिप्पणी भेजें
जयहिंद मीडिया नेटवर्क में अपनी बात रखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।