हाथरस/सासनी- गांव नगला गढू में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन महोत्सव के दौरान शिव को पैरों में पाकर हुआ काली का क्रोध शांत

हाथरस/सासनी। गांव नगला गढू में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन महोत्सव के दौरान आचार्य पं. मुकेश शास्त्री ने भगवान शिव द्वारा मां काली के पैरों में लेटकर उनके क्रोध को शांत करने की कथा का बडा ही रोचक वर्णन किया जिसे सुन श्रोता भाव विभोर हो गये।
बुधवार को कथा के दौरान आचार्य ने सुनाया कि दैत्य रक्तबिज ने कठोर तप के बल पर वर पाया था की अगर उसके खून की एक बूंद भी धरती पर गिरेगी तो उस से अनेक दैत्य पैदा हो जाएंगे। उसने अपनी शक्तियों का प्रयोग निर्दोष लोगों पर करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसने अपना आतंक तीनों लोकों पर मचा दिया। देवताओं का रक्तबीजसे भयंकर युद्ध हुआ। जब रक्तबीजका बध नहीं हुआ तो हारकर देवता मां महाकाली की शरण में गए। मां काली असल में जो सुन्दरी रूप भगवती दुर्गा का काला और डरावना रूप हैं, उन्होने देवताओं की रक्षा के लिए विकराल रूप धारण कर युद्ध भूमी में प्रवेश किया। महाकाली ने राक्षसों का वध करना आरंभ किया लेकिन रक्तबीज के खून की एक भी बूंद धरती पर गिरती तो उस से अनेक दानवों का जन्म हो जाता जिससे विश्व व्याप्त हो गया। तब मां ने अपनी जिह्वा का विस्तर किया। दानवों का एक बूंद खून धरती पर गिरने की बजाय उनकी जिह्वा पर गिरने लगा। इस तरह महाकाली ने रक्तबीज का वध किया लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विक्राल रूप से चुका था की उनको शांत करना जरुरी था मगर हर कोई उनके समीप जाने से भी डर रहा था। सभी देवता भगवान शिव के पास गए और महाकाली को शांत करने के लिए प्रार्थना करने लगे। भगवान् शिव ने उन्हें बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश करी जब सभी प्रयास विफल हो गए तो वह उनके मार्ग में लेट गए। जब उनके चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह एकदम से ठिठक गई। उनका क्रोध शांत हो गया। कथा का भावार्थ समझाते हुए आचार्य ने बताया कि यदि कोई क्रोध में पागल है तो उसक सामने तुम नतमस्तक हो जाओगे तो निश्चित ही उसका क्रोध शांत हो जाएगा। क्यों कि गुस्से को प्यार से ही जीता जा सकता है। इस दौरान राजा परीक्षित बने पन्नालाल जैसवाल तथा उनकी पत्नी इंदिरा देवी के साथ-साथ रामकृष्ण, ब्रजेश कुमार, ओमप्रकाश, मोरमुकुट शर्मा, विशाल कुमार, सोनू, बबलू, योगेश दीक्षित, भोला शंकर अनीता देवी, पूजा, आरती, माया देवी, सुनीता देवी, राजकुमारी, विनीता देवी, आदि मौजूद थे।

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